इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको यह जानकारी दूंगा कि ओजोन परत किसे कहते हैं? किन कारणों से धीरे-धीरे ओजन परत खत्म होती जा रही है? इसके साथ ही साध ही ओजोन परत के विनाश के दुष्परिणाम कौन कौन से है?(OZONE LAYER DEPLETION)
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प्रस्तावना (OZONE LAYER DEPLETION)
साथियों पूरा विश्व तकनीकी के माध्यम में बहुत ही आगे बढ़ चुका है। विश्व के प्रत्येक देशों में तकनीकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने की एक होड़ सी लग गई। इसी होड़ के कारण कहीं ना कहीं जाने अनजाने में प्रकृति के साथ कुछ न कुछ गलत होते जा रहा है, जिसका खामियाजा कभी ना कभी प्रकृति के विनाशकारी रूप में लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
ओजोन लेयर या ओजोन परत किसे कहते हैं?(OZONE LAYER DEPLETION)
ओजोन परत को पृथ्वी का सुरक्षा कवच माना जाता है। यह परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के अधिकांश मात्रा को रोक लेती है। जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले छोटे से लेकर बड़े सजीव की रक्षा हो जाती है| इसलिए कहा जाता है कि अगर ‘ओजोन परत’ गैस की ये ढाल हमारे वायुमंडल की गैसों में मिल जाए तो लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।
ओजोन परत के बारे में वैज्ञानिकों का तर्क(OZONE LAYER DEPLETION)
अगर वैज्ञानिक भाषा में बताया जाए तो ओजोन परत ओजोन अणुओ की एक परत है जो हमारी धरती के 20 से 40 किलोमीटर के बीच के वायुमंडल में फैली हुई है। जब सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणे ऑक्सीजन परमाणु को तोड़ती हैं और हमारे वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन के साथ मिल जाती ,तब इस बॉन्डिग से ओजोन अणु का निर्माण होता हैं और इसी से ओजोन परत वातावरण में बनती है।
ओजोन परत खत्म होने के कारण(OZONE LAYER DEPLETION)
फ्रिज ,एसी, इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जे की सफाई आदि में क्लोरोफ्लोरोकार्बन(सीएफ़सी ) नामक गैस पर्यावरण में छोड़ी जाती है l इन सभी कारणों से वैज्ञानिकों का मानना है कि सीएफसी(CFC) गैस का एक कण ओजोन के एक लाख कणों का विनाश कर देता है। इन सभी कारणों से ओजोन परत में छेद होना स्वाभाविक है।
ओजोन परत खत्म होने के दुष्परिणाम(OZONE LAYER DEPLETION)
हम सब जानते हैं कि सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों का 99% भाग ओजोन परत द्वारा सोख लिया जाता है। इसीलिए ओजोन की परत को धरती का सुरक्षा कवच भी माना जाता है। इसीलिए भविष्य में यदि ओजोन परत या ओजोन मंडल समाप्त होती है तो निम्नलिखित दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।
👉पृथ्वी पर रहने वाला जीव समुदाय खतरे में पड़ जाएगा।
👉इसका प्रभाव लोगों के जीवन, पौधों और पशु के जीवन पर भी पड़ेगा।
👉यहां तक कि पानी के नीचे का जीवन भी धीरे-धीरे समाप्त होता जाएगा।
👉प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा। सर्दियों की तुलना में ज्यादा गर्मी होगी जिससे वैज्ञानिक भाषा में ग्लोबल वार्मिंग भी कहते हैं।
👉ओजोन परत की कमी स्वास्थ और प्रकृति के लिए भी हानिकारक बन जाएगी।
ओजोन परत बचाने के लिऐ वैश्विक स्तर पर किया गया कार्य(OZONE LAYER DEPLETION)
ओजोन परत को बचाने के लिए विश्व के कई देशों में संधि की गई है। इस संधि के अनुसार कई प्रकार की नियम बनाए गए हैं। इस नियम का मुख्य उद्देश्य ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले विनाशकारी घटक जैसे क्लोरो फ्लोरो कार्बन की मात्रा पर नियंत्रण करना। क्योंकि जब क्लोरो फ्लोरो कार्बन की मात्रा पर्यावरण में बढ़ जाती है तब ओजोन की परत में छेद होना शुरू हो जाता है। इस संधि में अब तक 46 राष्ट्रों ने भाग लिया है।
ऐसा माना जाता है कि अगर इस संधि के अनुसार सारे नियमों का पालन किया गया तो 2050 तक ओजोन परत के ठीक होने की पूरी संभावना है। विश्व के ऐसे कई देश हैं जिन्होंने विनाशकारी पदार्थों के उत्पादन पर रोक लगाने के लिए कई सारी टेक्नोलॉजी का निर्माण किया है। इन टेक्नोलॉजी के उपयोग से ओजोन की परत को सुरक्षा प्रदान करने में काफी मदद हो रही है।
निष्कर्ष (OZONE LAYER DEPLETION)
तो मित्रों इस प्रकार आज हमने ओजोन परत किसे कहते हैं? किन कारणों से धीरे-धीरे ओजन परत खत्म होती जा रही है? इसके साथ ही साध ही ओजोन परत के विनाश के दुष्परिणाम कौन कौन से है? इत्यादि के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली हैं|
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