साथियों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको यह जानकारी मिलेगी कि ग्लोबल वार्मिंग(GLOBAL WARMING) किसे कहते हैं? इससे बचने के क्या उपाय हैं? इसके खतरे क्या है? और इसका प्रभाव क्या है?
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प्रस्तावना (GLOBAL WARMING)
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है– पृथ्वी का निरंतर बढ़ता तापमान जिससे सारे वातावरण में गर्मी बढ़ती जा रही है ओर जिससे संपूर्ण पृथ्वी के नष्ट होने का खतरा मंडराना रहा हैं । जानकारों का ऐसा कहना है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो सारा वायुमंडल गर्म हो जाएगा जिसके परिणाम स्वरूप बर्फ का पहाड़ पिघल जाएगा ।जिससे जलस्तर बढ़ जाएगा। जलस्तर बढ़ जाने से बाढ़ आएगी, समुद्र उफान मारेगा और पृथ्वी का व्यास कम हो जाएगा। यही नहीं लोग गर्मी से झुलस जाएंगे और अनेक प्रकार के रोग चारों तरफ फैल जाएंगे। चारों और विनाश ही विनाश का मंजर होगा।
ग्लोबल वार्मिंग कैसे होती है।(GLOBAL WARMING)
जब हमारी पृथ्वी पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो पृथ्वी का सूर्य के सामने पड़ने वाला हिस्सा गर्म हो जाता है, परंतु यह गर्मी पृथ्वी द्वारा वापस ब्रह्मांड पर फेंक दी जाती है ताकि पृथ्वी के तापमान में संतुलन बना रहे। पृथ्वी पर कोयला , ईंधन और लकड़ी इत्यादि के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है। यह गैस हमारे वायुमंडल में ऊंचाई पर जाकर स्थित हो जाती है। इस गैस का प्रयोग सही तरीके से होने पर प्राकृतिक संतुलन बना रहेगा ।लेकिन कार्बन Dioxide का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है, परंतु इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। यह पर्यावरणीय दुर्घटना इसी कारण से हो रही है।
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण(GLOBAL WARMING)
ग्लोबल वार्मिंग का यदि कोई मुख्य कारण है तो वह है तेजी से वनों की कटाई का होना।जबकि वृक्ष कम मात्रा में लगाए जा रहे हैं। धुआ फैलाने वाले वाहन, कारखाने आदि इस कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्पादन प्रचुर मात्रा में कर रहे हैं। पेड़ पौधों के कम हो जाने से इसकी खपत कम हो रही है। कार्बन डाइऑक्साइड एक भारी गैस है। यह पृथ्वी द्वारा छोड़ी जाने वाली गर्मी को ऊपर ना जाने देकर वापस पृथ्वी पर भेज देती है, जिसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। और इस प्रकार पृथ्वी पर रहने वाला सजीव खतरे में पड़ जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव (GLOBAL WARMING)
हिमालय से एशिया की आठ मुख्य नदियों को पानी मिलता है, ये गंगा, यमुना, सिंधु, यांगजे, मेकाग, ब्रह्मपुत्र,सरयू, सतजल, येलो इत्यादि हैं। चूँकि निरंतर ग्लेशियरों के पिघलने से क्षेत्रफल पाँच लाख वर्ग किलोमीटर से घटकर डेढ़ लाख वर्ग किलोमीटर रह जायेगा, जिसके कारण पिघलने वाले पानी की कमी हो जायेगी, इससे ये नदियाँ सूखने लगेंगी, साथ ही सिंचाई भी नहीं हो पायेगी।भारत हो या अन्य देश जब लोगों को पीने और सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पायेगा, तो खाद्यान्न केअभाव में लोग भूख से मरने लगेंगे, क्योंकि सिंचाई न होने से फसलें नष्ट हो जायेंगी। लोग प्यास से कराहने लगेंगे।पीने लायक पानी बचेगा ही नहीं। ग्लोबल वार्मिंग का असर मौसम के परिवर्तन पर भी पड़ेगा। अचानक अकाल, बाढ़ भी आ जाएगी |
ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय(GLOBAL WARMING)
👉अधिक संख्या में वृक्ष लगाना चाहिए।
👉ऐसे वाहनों का कम इस्तेमाल करना चाहिए जिनसे कार्बन डाइऑक्साइड गैस भारी मात्रा में निकलती है।
👉पेड़ों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए।
👉बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं पर नियंत्रण रखा जाना चाहिए।
👉अन्य प्रकार के प्रदूषण पर भी नियंत्रण करना चाहिए।
निष्कर्ष (GLOBAL WARMING)
तो साथियों इस प्रकार आज हमने यह जानकारी प्राप्त की कि ग्लोबल वार्मिंग(GLOBAL WARMING) किसे कहते हैं? इससे बचने के क्या उपाय हैं? इसके खतरे क्या है? और इसका प्रभाव क्या है?