साथियों इस लेख के माध्यम से मैं आपको विश्व जल दिवस किसे कहते हैं, विश्व जल दिवस जल दिवस मनाने के पीछे का इतिहास क्या है, तथा 2022 में जल दिवस की थीम क्या है? इत्यादि के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाला हू।
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प्रस्तावना(विश्व जल दिवस )
जल ही जीवन है अर्थात जल के बिना जीवन असंभव है। जल वह है जिसके बिना जीव- जंतु पशु -पक्षी तथा अन्य प्राकृतिक पदार्थ भी जीवित नहीं रह सकते हैं। पानी के बिना तो मानव और मानवेत्तर प्राणी वैसे ही है जैसे पेट्रोल के बिना गाड़ी। जल मनुष्य जीवन के लिए अनिवार्य तत्व है। यह प्राकृतिक संसाधन है जिसका उत्पादन मनुष्य नहीं कर सकता, यह जानते हुए भी वह उसका विनाश कर रहा है।
क्यों मनाया जाता है विश्व जल दिवस
बढ़ते औद्योगिकीकरण, अति उपयोग ,और सभी प्राकृतिक स्रोतों के दहन की वजह से मानव जीवन को पानी की तीव्र कमी जैसी कुछ विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि पानी सभी प्राणियों के अस्तित्व का एक अहम निर्माण खंड है इसीलिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है, हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने के पीछे का एक कारण और है कि लोगों को ताजे पानी के महत्व और इस महत्वपूर्ण संसाधन के सतत प्रबंधन के बारे में ज्यादा ज्यादा जागरुक किया जा सके।
जल की वर्तमान दुर्दशा
शहर हो या गांव हो हर तरफ जल की बर्बादी हो रही है। जिस काम को पूरा करने के लिए 50 लीटर पानी की जरूरत होती है उस काम को पूरा करने के लोग 100 लीटर पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। कार, साइकिल, गली, छत दीवारों की सफाई के लिए पीने लायक स्वच्छ जल को नासमझी से बर्बाद कर दिया जाता है ।इन बातों से पता लगता है कि लोग जल का उपयोग अमर्यादित ढंग से कर रहे हैं तथा उसे बर्बाद भी कर रहें है।
वर्तमान युग में सरकार और परोपकारी लोगों द्वारा बनाए गए तालाब ,जलाशय एवं नाले आज गंदगी का ढेर बन कर रह गए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि उस स्थान पर दूषित जल एकत्रित हो रहा है और वहां गंदगी बढ़ती ही जा रही है। जब छोटी-छोटी नालिया होती थी तो वह गर्मी के दिनों में सूख जाती थी लेकिन जब से गहरे नाले बनाए हैं तब से गंदगी बढ़ती ही जा रही है|
इसीलिए कह सकते हैं कि मानव को जल के साथ नदी नाले को भी साफ करना होगा।अगर पानी के बर्बाद करने की यह प्रक्रिया सतत चलती रही तो वह दिन दूर नहीं होगा जब लोगों को पानी के बिना तड़प तड़प कर अपनी जान दे देनी होगी।
विश्व जल दिवस का इतिहास
दुनिया को पानी की जरूरत से अवगत कराने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की। इसके अलावा सन 1992 में ब्राजील में विश्व जल दिवस को मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद साल 1993 से जल संरक्षण के महत्व को समझाने के बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में जारी रखा गया। इस तरह पहले विश्व जल दिवस का आयोजन 22 मार्च 1993 को हुआ था
विश्व जल दिवस 2022 की थीम
विश्व जल दिवस को हर वर्ष एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम -‘भूजल :अदृश्य को दृश्यमान बनाना’जिसे IGRAC यानि इंटरनेशनल ग्राउंड वाटर रिसोर्स एसेसमेंट सेंटर द्वारा प्रस्तावित किया गया है।
सरकार की पहल
भारत सरकार को सरकारी संस्थानों में निजी फर्मो में भी ऐसे कड़े निर्देश जारी करने चाहिए जिससे जल की बर्बादी को रोका जा सके और जल को स्वच्छ एवं साफ रखकर बीमारी से मानव को बचाया जा सके। यह भी सत्य है कि जल को साफ रखना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं होती है बल्कि प्रत्येक मानव की जिम्मेदारी मानी जाती है।
जल के दूषित होने के परिणाम
वर्तमान युग में फैक्ट्रियों द्वारा जल को पूरी तरह से दूषित कर दिया जा रहा है।फैक्ट्रियों द्वारा जो भी केमिकल या रसायन पानी में छोड़े जाते हैं वह बड़े जहरीले माने जाते है। जहरीले पानी के कारण जल में रहने वाले जीव जंतुओं को भी खतरा पैदा हो जाता है। इसीलिए यदि जल को स्वच्छ रखना है तो सरकार द्वारा इन फैक्ट्रियों पर कड़े निर्देश जारी किया जाना चाहिए । क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में दूषित जल पीकर प्रत्येक मानव बीमारियों का शिकार बन जाएगा।
मनुष्य का कर्तव्य
प्रत्येक व्यक्ति को ज्ञात है कि जल ही जीवन है। बिना जल के जीवन को चलाना असंभव है। जल वह साधन है जो प्यासे को भी तृप्त करता हैं। इस प्रकार मानव का भी फर्ज बनता है कि वह जल का उपयोग मात्रा से अधिक ना करें और जल को बचाने के नए-नए प्रयास करें ताकि मानव को लंबे समय तक जल प्राप्त हो सके।
उपसंहार
इसलिए हम कह सकते हैं कि जल को स्वच्छ रखने का कर्त्तव्य जितना सरकार का ही उतना ही समाज का और प्रत्येक व्यक्ति का भी है। क्योंकि सरकार को चलाने वाले भी मानव है और समाज में रहने वाले भी मानव ही है। मनुष्य को अपने कर्म को समझना होगा तभी जल को बचाया जा सकता है।
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