पर्यावरण यानी आवरण जो चारों तरफ से हमारी रक्षा करता है। हमारी पृथ्वी में मौजूद यह ऐसा आवरण है जो अनेक प्रकार की गैसों, रसायनों , जल , वायु , गरमी , नमी आदि का प्राकृतिक संगम है। यह धरती का कवच बनकर धरती पर रहने वाले लोगों की रक्षा विषैले और घातक तत्वों से करता है।(प्रदूषण)
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प्रस्तावना
जैसे जैसे मनुष्य ने वैज्ञानिक उन्नति की है उसने अपने भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए अनेक छोटे-बड़े कल कारखानों और उद्योगों का विकास कर लिया है। आज हम प्रदूषण की दुनिया में जी रहे हैं। जल ,थल और आकाश पर प्रदूषण के दांत ने अपना अधिकार जमा लिया है ।सभी जगह प्रदूषण के कारण हमारा जीवन एक भयावह चक्रव्यूह में फंस गया है।
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण बहुमुखी दैत्य है। वह वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के रूप में अपनी जीभ लप लपा रहा है। आज हम दूषित वायुमंडल में सांस ले रहे हैं। पीने के लिए लोगों को स्वच्छ निर्मल जल नहीं मिल रहा है। दूषित जल और जंतु नाशक दवाओं के कारण अनाज की फसलों भी दूषित हो रही है। आधुनिक यंत्रों का शोर हमारे कानों के परदे फाड़ रहा है। प्रदूषण के इन विविध रूपों ने इस सुंदर सृष्टि के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
प्रदूषण के कारण
प्रदूषण के विकट समस्या के मूल में औद्योगिक क्रांति और बढ़ती हुई आबादी है। मिलों, कारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वातावरण को विषैला बना रहा है। गैस प्लांटो से गैस रिसने की दुर्घटनाएं पर्यावरण को जानलेवा बना रही है। औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाला रासायनिक कूड़ा कचरा तथा शहर के गटर का पानी नदियों, झीलों तथा समुद्र के पानी में मिलकर विष घोल रहा है। कहने का अर्थ यह है कि जल प्रदूषण बना रहा है।
इसी के साथ साथ रेलगाड़ियों ,विमानों ,मोटरों की हॉर्न ,रेडियो ,दूरदर्शन तथा लाउडस्पीकर से निकलने वाली तीव्र ध्वनियां, ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रही है। शहरों की गंदी झोपड़पट्टी या मशीनीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति तथा वृक्षों का बेतहाशा विनाश, प्रदूषण के मुख्य कारण है।
प्रदूषण के दुष्परिणाम
हर तरह का प्रदूषण जीवन का शत्रु है ।वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है |इससे पृथ्वी के पर्यावरण के ऊपर रहने वाला ओजोन गैस का सुरक्षा चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। वायु प्रदूषण के कारण सांस और फेफड़ों के रोग पनपते हैं तथा आंखें खराब हो जाती है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव बहरेपन, अनिद्रा, रक्तचाप तथा मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है|जल प्रदूषण के कारण लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियां होती जा रही है।
प्रदूषण कम करने के उपाय
प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय किए गए हैं। कारखानों को शहरों से बाहर स्थापित किया गया है। पुराने वाहन चालकों पर रोक लगा दी गई है। वाहनों के प्रदूषण स्तर की निरंतर जांच हो रही है। वृक्षारोपण अभियान समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं ,आदि अनेक प्रयास हमारी सरकार द्वारा किए जा रहे हैं जो सराहनीय है। परंतु सरकार के साथ हमारा उचित सामूहिक सहयोग भी जरूरी है। प्रदूषण की समस्या से मुक्त होने के लिए लोगों को जागरूक करना पड़ेगा। यदि हम समझदारी से काम ले तथा यंत्रों के उपयोग पर अंकुश रखे तो प्रदूषण की समस्या से बहुत हद तक निपटारा पाया जा सकता है।
संदेश
प्रदूषण की समस्या किसी एक देश की नहीं अपितु पूरे विश्व की समस्याएं है। प्रदूषण की समस्या इतनी बढ़ती जा रही है कि उसकी वजह से आज मानो अपनी कमाई का आधा हिस्सा अपनी बीमारी पर खर्च कर रहा है। इसलिए व्यक्ति को प्रयास करने चाहिए और पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए इसके बाद ही हमारा जीवन ,संतुलन में बना रहेगा।
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